दुआ हमारी

उसने जो चाहा मिल गया,
खुशिया सारी नसीब हुई
मानो या ना मानो ज़माना,
दुआ हमारी ही कबूल हुई

वो एक शाम थी जब,
आख़िरी बार तुमसे नज़र हुई
उस शाम के बाद हमारी,
ना अभी तक कोई सहर हुई

कभी रहते थे हम तुम्हारे,
ख़यालो का नूर बनकर
वो ख़याल कहाँ खो गये इसकी,
किसिको खबर तक नही हुई

 

Ashwini Sharma

 

 

How to forget?

यूँ ही एक समंदर आँखो से बह जाता है
कोई टूटा हुआ ख्वाब जब याद आ जाता है

चाहकर भी मिटा नही पाते उन लकीरो को
जब कोई सबसे प्यारा हमे जख्म दे जाता है

जो खून बनकर उतरा हो कभी नासो मे
नही आता हमे, उसे कैसे बहाया जाता है

ये मेरा दिल है, कभी मोम था, अभी पत्थर है
पर पत्थर को मोम मे कैसे पिघलाया जाता है

 

Ashwini sharma

Alone

टुकड़े ही टुकड़े बिखरे हुए पाता हूँ
जब भी अपने दिल को देख पाता हूँ

एसी क्या सितम हुई उसके साथ
खोजता हूँ, पर जान नही पाता हूँ

क्यूँ, बस इस एक शब्द के सवाल पे
खुद को हमेशा मंज़िल से दूर पाता हूँ

आज जब पुरानी यादो को टटोलता हूँ
खुद को सबसे ज़्यादा बदनसीब पाता हूँ

ज़िंदा होकर भी मैं, मारा हुआ पाता हूँ

Ashwini sharma

 

 

 

एक बेजान जान

नही बचा सका उसे, बहुत कोशिश की फिर भी नही बचा सका, आज मर ही गया वो…

ये कहानी हे एक एसे बंदे की जो की कुछ समय पहले बहुत खुश रहा करता था, और खुश क्यू ना रहता सब कुछ तो था उसके पास दोस्त, परिवार, प्यार.. बस नही थी तो एक किस्मत जिसके लिए वो हमेशा लड़ता रहता था, पर फिर भी खुश रहता था, क्योंकि कोई था उसके साथ जो की हमेशा रहता था और हर बार उसका साथ दिया करता था..

अच्छी ख़ासी जिंदगी चल रही थी पर कब तक लड़ता किस्मत के साथ भी.. एक दिन कुछ एसा खेल खेला उसकी किस्मत ने की उसे उसका दोस्त उसका हमसफ़र उसका प्यार उसे हमेशा के लिए अकेला छोड़ ये कहके चला गया की तुम बहोत ही बुरे हो..

वो दोनो जो की हमेशा साथ रहा करते थे बहुत बाते किया करते थे, एक दूसरे के बारे मे सब कुछ जानते थे, अलग अलग हो गये..

टूट ही गया था वो बेचारा पूरी तरह से, बहोत कोशिश की उसने की सब कुछ ठीक हो जाए सब कुछ पहले जेसा हो जाए, सब कुछ सही हो जाए पर किस्मत के आगे किसकी चलती हे, वो तो सोचता था की वो अकेला सारी दुनिया से लड़ जाए पर नही लड़ पाया, काफ़ी दिन बीट गये पर वो उसने हर नही मानी और अपने दोस्त को जिसके साथ की वो पूरी जिंदगी बिताना चाहता था, उसे वापिस लाने की सारी कोशिशे करता रहा.. पर नही ला पाया

बहुत तडपा वो, बहुत परेशन रहा, एसा लगता था उसे देख कर जेसे की कोई मुर्दा हे जो की किसी के इंतेज़ार मे जी रहा हे, वो भी उसके इंतेज़ार मे जो की कभी वापिस नही आने वाला था, कभी कभी तो मैं उसे देख कर सोचता था की या तो उसे उसका प्यार वापिस मिल जाए वरना जिस दर्द मे वो रहता था वो देखने के काबिल मैं नही था..

पर आज उसका दर्द ख़तम हो गया, सारी परेशानियो से वो मुक्त हो गया, चेहरे पे मुकुराहट थी, लग रहा था जेसे की उसी के लिए आँखे बंद किए हुए हे, जेसे की उसी की गौद मे लेटा हुआ हो.. एसा लग रहा था की उसे वो सब मिल गया जो उसे चाहिए था, पर हम सबने उसे खो दिया था..

जब भी उसे देखता हू एसा लगता हे की अब भी उसमे जान अजाये अगर कोई उसे एक बार प्यार से बुला ले.. पर कभी कभी लगता हे की अब काफ़ी देर हो चुकी हे..

जी हा मेने उसे आज खो दिया, नही बचा सका उसे.. और जिसके लिए वो हम सबको छोड़ गया उसे शायद इस बात की खबर भी नही है..

 

Ashwini Sharma